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छठ पूजा की कविता Chhath Puja Kavita in Hindi

छठ पूजा हिन्दू धर्म का विशेष व्रत त्योहार है, जो की छठ पूजा (Chhath Puja) कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है, यह त्योहार दिवाली से ठीक आगे छठे दिन पड़ता है, जो की अधिकतर उत्तरी पूर्वी भारत के लोगो का एक प्रमुख पर्व है, छठ पूजा मे उगते हुए और डूबते हुए सूर्य की आराधना की जाती है, जो की सबसे कठिन व्रत माना जाता है, जिसमे छठ पूजा व्रत में सूर्य देव की आराधना किया जाता है जिसमे सम्पूर्ण परिवार के मंगल की कामना की जाती है, और भगवान सूर्य और माँ छठी की आशीर्वाद की मांगा जाता है।

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छठ पूजा की कविता

Chhath Puja Kavita in Hindi

Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindiसूर्य देवता का हैं अर्चन,

जो करता जीवन का अर्जन.

जिसके प्रकाश में सुख शांति मिले,

जिसकी ऊर्जा से कण-कण खिले.

हैं उसको शत-शत नमन,

जो दे हमें स्वस्थ जीवन.

छठ पूजा हैं इसका सत्कार,

सभी को शुभकामनाये हैं अपरम्पार.

Happy Chhath Puja Wishes Hindi | छठ पूजा शुभकामनाये

छठ पूजा की कविता

Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi

सूर्य की पूजा है …..छठ पूजा,

यह आस्था विश्वास का है नाम दूजा।

यह है प्रकृति की पूजा,

नदी ,चन्द्रमा,और सूर्य की पूजा।

यह है स्वच्छता का महान उत्सव,

समाजिक परिदृश्य का महापर्व।

साफ-सूथरा घर आँगन,

यह पर्व है बड़ा ही पावन।

सजे हुए हैं नदी,पोखर,तलाब,

दीपों से जगमग रौशन घाट।

छठ पूजा पर्व व्रत विधि कथा इतिहास और महत्व Chhath Puja in Hindi

हवन से सुगंधित वातावरण,

सात्विक विचारों का अनुकरण।

सुचितापूर्ण जीवन का संगीत,

धार्मिक परम्पराओं का प्रतीक।

सुमधुर छठ का लोक गीत,

दिल में भरे अपनत्व और प्रीत।

भक्ति और अध्यात्म से युक्त,

तन मन निर्मल और शुद्ध।

स्वच्छ सकारात्मक व्यवहार,

समाज के उन्नति का आधार।

भोजन के साथ सुख शैया का त्याग

व्रती करते हैं कठिन तपस्या।

निर्जला निराहार होता यह व्रत

व्रती पहनते नुतन वस्त्र।

उगते,डूबते सूर्य को देते अर्ध्य

ठेकुआ, कसाढ़, फल,फूल करते अर्पण।

जीवन का भरपूर मिठास

रस,गुड़,चावल,गेहूँ से निर्मित प्रसाद।

हमारी समस्त शक्ति और उर्जा का स्त्रोत,

समाजिक सौहाद्र से ओतप्रोत।

धर्म अध्यात्म से परिपूर्ण

छठ पूजा सबसे महत्वपूर्ण।

लेखक — लक्ष्मी सिंह

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छठ पूजा की कविता

Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi

खड़े है सब घाटों में,

हैं सूप लिए हाथों में,

लगा रहे जयकारे,

जय हो छठ मैय्या ।

सूप भरे ठेकुआ से,

सेब नारंगी केला से,

खड़े नारियल लेके,

जय हो छठ मैय्या ।

खड़े है सब घाटों में,

हैं सूप लिए हाथों में,

लगा रहे जयकारे,

जय हो छठ मैय्या ।

लेखक – विनय कुमार जी

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यमुना तट पर छठ – छठ पूजा की कविता

Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi

इस नदी की साँसें लौट आई हैं

इसकी त्वचा मटमैली है

मगर पारदर्शी है इसका हृदय

इसकी आँखों में कम नहीं हुआ है पानी

घुटने भर मिलेगा हर किसी को पानी

लेकिन पूरा मिलेगा आकाश

छठव्रतियों को

परदेश में छठ करते हुए

मन थोड़ा भारी हो रहा है

महिलाओं का

दिल्ली में बहुत दूर लगती है नदी

सिर्फ गन्ने के लिए

या सिंघाड़े के लिए

लंबा सफर तय करना पड़ता है

अपना घर होता

तो दरवाजे तक पहुँचा जाता कोई सूप

गेहूँ पिसवा कर ला देता

मोहल्ले का कोई लड़का

मिल-बैठ कर औरतें

मन भर गातीं गीत

गंगा नहीं है तो क्या हुआ

गाँव की छुटकी नदी नहीं है तो क्या हुआ

यमुना तो है

हर नदी धड़कती है दूसरी नदी में

जैसे एक शहर प्रवाहित होता है

दूसरे शहर में

पर सूरज एक है

सबका सूरज एक

हे दीनानाथ!

हे भास्कर!

अर्घ्य स्वीकार करो

वह शहर जो पीछे छूट गया है

वह गाँव जो उदास है

वे घर जिनमें बंद पड़े हैं ताले

जहाँ कुंडली मारे बैठा है अँधेरा

वहाँ ठहर जाना

अपने घोड़ों को कहना

वे वहाँ रुके रहें थोड़ी देर

हे दिनकर!

यह नारियल यह केला यह ठेकुआ

सब तुम्हारे लिए है

सब तुम्हारे लिए।

लेखक – संजय कुंदन

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